कुछ चीजें व्यक्ति के हाथ में नहीं होती उनका कर्ता और नियन्ता कोई और होता हैं मैं ऐसा ही मानता हूं, और मेरे साथ घटा भी कुछ ऐसा ही। सन् 1958 दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस काॅलेज का बी.एस.सी तृतीय वर्ष का छात्र था। जनवरी माह की ठिठुरती ठण्ड में जब मैं साइकिल से घर लौटता था तो देखता था-कश्मीरी गेट तथा जमुना बाजार के डाट वाले पुलों के नीचे किनारे के फुटपाथ पर कुछ लोग चीथड़ों में लिपटे और टाट ओढ़कर गठरी बने हुए पड़े रहते थे। वहां से जब भी गुजरता तो मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना करता, हे ईश्वर जीवन में यदि कुछ मुझे दे सको तो बस इस योग्य बना देना कि इन जैसे व्यक्तियों को यहाँ से उठाकर अपने साथ ले जाऊँ और इनके हाथों में भीख न देकर कुछ काम दूँ। कहते हैं कि ‘‘ त्रिया चरित्रम् पुरूषस्य भाग्यम् देवा न जानातिः कुतो मनुष्यः।।
सो बिलकुल कुछ ऐसा ही हुआ। मेरे जैसे साधारण से आदमी को ईश्वर ने कहाँ से कहाँ पहुंचा दिया। बी.एस.सी की अंतिम परीक्षा के केवल तीन माह पहले ही काॅलेज छूट गया। रेल विभाग के निर्माण विभाग में 30 बरस तक नौकरी करने के पश्चात स्वैच्छिक सेवा निवृति ली और निर्माण क्षेत्र में 1995 में एक बहुत छोटी सी कम्पनी गौड़सन्स इण्डिया लिमिटेड का गठन किया। लगातार 22 वर्षों तक दिन रात परिश्रम किया और आज यह कम्पनी देश में निर्माण क्षेत्र की एक प्रतिष्ठित कम्पनी है जिसमें आज हजारों व्यक्ति अपनी सेवायें देकर लाभान्वित हो रहे हैं। ईश्वर ने वह इच्छा पूरी कर दी जो कभी विद्यार्थी जीवन में उससे प्रार्थना कर माँगी थी। निर्माण क्षेत्र में लगभग 180 कम्पनियों के उत्पादों का प्रयोग होता है यदि उनको भी समाहित कर लिया जाये तो आज लाखों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
सन् 1995 में बड़े बेटे डाॅ. राकेश गौड़ की अचानक अकाल मृत्यु से जीवन एक बड़े खालीपन से भर गया। जीवित रहने की इच्छा समाप्त होने लगी थी। तो फिर किसी अज्ञात शक्ति ने चेताया ष्अपने लिए जिए तो क्या जिएष् बेटे के नाम से 2002 में एक सेवा ट्रस्ट का गठन किया श्डाॅ. राकेश गौड़ चैरिटेबल ट्रस्टश् और चिकित्सा क्षेत्र में कार्य शुरू कर दिया। मुख्य क्षेत्र शालीमार गार्डन साहिबाबाद गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) रहा। एक माह में दो बार निःशुल्क मेडीकल कैंप लगने लगे, सेवा के इस काम में दो डाॅक्टरों का योगदान भुलाया नहीं जा सकता।
एक थे डाॅ कुलश्रेष्ठ, नेत्र रोग विशेषज्ञ और दूसरी स्त्री रोग विशेषज्ञ, डाॅ. वीना मित्तल, ये दोनों ही सेवा भाव से बिना किसी मानदेय के इस ट्रस्ट द्वारा जनता की सेवा में लगे रहे और गाजियाबाद से दूरदराज जनपद अलीगढ़ के गांव में भी अपनी सेवाएं दी। लोगों के आम रोगों के निदान के साथ-साथ लगभग 1200 आँखों का निःशुल्क आॅपरेशन कर लोगों को नई रोशनी दी।
यह कार्यक्रम सन् 2004 से 2011 तक निरंतर चलता रहा उसके पश्चात स्वयं का स्वास्थ्य इसमें बाधा बनने लगा और 2011 से अब तक यह सेवा कार्य स्थगित है, लेकिन अब पुनः संकल्प लिया है और संभवतय इसी वर्ष 2017 के अंत तक फिर से निर्धन और असहाय व्यक्तियों के लिये पुनः निःशुल्क चिकित्सा सेवा कैंप लगने शुरू हो जायेंगे।
इसी ट्रस्ट के अंतर्गत देश के निर्धन विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा के लिए सन् 2008 में आर.जी. इंस्टीट्यूट ऑफ़ प्रोफेशनल स्टडीज् के नाम से एक शिक्षण संस्थान शालीमार गार्डन साहिबाबाद, गाजियाबाद में खोला। इस शिक्षण संस्थान को मान्यता मिली गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा से। इसमें जिन कोर्स में शिक्षा प्रदान की गई वे इस प्रकार हैंः-
- बैचलर इन मास कम्यूनिकेशन (गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय)
- मास्टर्स इन मास कम्यूनिकेशन (गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय)
- पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन एड एण्ड पी.आर (गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय)
- एम.बी.ए (गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय)
- पी.जी.डिप्लोमा इन ट्रांसलेशन (भारतीय अनुवाद परिषद)
- सर्टीफिकेट कोर्स इन सिविल इंजीनियरिंग फार सुपरवाइजर-(नेशनल आॅपेन स्कूलिंग के अंतर्गत) यह इंस्टीट्यूट 2014 तक बदस्तूर कार्य करता रहा जिससे शिक्षा प्राप्त कर हजारों विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त हुआ।
- निःशुल्क चिकित्सा कैंप की पुनः शुरूआत वर्ष 2017 के अंत तक।
- सी.एस.आर द्वारा गौड़ इंटरनेशनल स्कूल में निर्धन विद्यार्थियों का निःशुल्क शिक्षण कार्य का शुभारंभ आने वाले नये सत्र से शुरु होगा – अप्रैल 2018
निर्माण क्षेत्र में – हिन्दी में सिविल इंजीनियरिंग की पुस्तक-‘नींव से नाली तक’ का दूसरा वृहद संस्करण जिससे हजारों विद्यार्थियों को भवन निर्माण क्षेत्र मेें रोजगार प्राप्त हो सकेगा।
संस्मरणों का सच – यह पुस्तक एक प्रकार से मेरी अब तक की जीवन यात्रा वृतान्त होगा जिससे आज के युवा यह सीख पायेंगे कि किस प्रकार नाम मात्र की पूंजी से शत-प्रतिशत ईमानदारी के साथ किसी बड़े उद्योग को स्थापित किया जा सकता है। हो सकता है इस पुस्तक के माध्यम से कोई और बी.एल.गौड़ पैदा हो जाये और देश की प्रगति में नये उद्योग लगाकर नया उदाहरण बन सके।